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कविता

आँखें देख कर

गोरख पांडेय


ये आँखें हैं तुम्हारी
तकलीफ का उमड़ता हुआ समुंदर
इस दुनिया को
जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिए


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हिंदी समय में गोरख पांडेय की रचनाएँ